मेरी साली और मेरी बीवी

मेरी साली और मेरी बीवी
पहली बार मेरी साली मेरे घर आयी
मेरी बीवी जैसे पहरेदार हो गयी
हसना बोलना खाना पीना मेरा दुश्‍वार हो गया
सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
क्‍या मैने कोई गलती की या
बहन उसकी ही किरदार बदल गयी
ऐसा क्‍या है, क्‍या हो गया है
सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
खूब मनाया खूब सुक्षाया
पर असर कोई मुझे न समझ आया
क्‍या बीवी मेरी शक का शिकार हो गयी

सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
डरने लगा अब मै उस सूरत से
जिस सूरत साली मेरी मुझे बुलाने लगी
क्‍या ये साली ही है कारण जो बीवी मेरी बीमार हो गयी
सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
मर जाउगां दुनिया छोड़ जाउंगा
धमकी मैंने बीवी को दे डाली, कुछ रुककर
उस एक दिन की यादों में वो तल्‍लीन हो गयी
सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
जिस दिन साली घर आने वाली थी
उसी दिन सुबह मित्रों हमारी हसीं बनायी थी
और वे चुटकियां बीवी पे सवार हो गयी
सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
साली होती है आधी घरवाली
ये चुटकी मित्रों की हमारे लिये प्रतिकार हो गयी
सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
प्रिय, प्रेम हमारा शब्‍दों का मोहताज नहीं
कहावत है, इन पर मेरा कोई राज नहीं
ये कैसी सज़ा मुझपे सवार हो गयी
सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
जिनको कहना था वा कह गये
साली को आधी घरवाली बता गये
मेरे जैसे सदपतिंयो की जिदगी बरबाद हो गयी
सोच में मैं पड़ गया
आखिर क्‍यों बीवी मेरी खबरदार हो गयी
तब और अब नित मैने यही सहा है
साली का मेरे घर आना मेरी दुर्दशा है
जैसे मेरी कोई सज़ा हो गयी
मैं हूं यूं समझा
ये है एक फितूर और बीवी मेरी खबरदार हो गयी

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